Saturday 5 September 2009

अध्यापक दिवस पर


कोई सवाल मूर्खतापुरण नहीं होता , हालांकि कुछ मूर्ख लोग होते हैं जो कभी सवाल नहीं करते ऐसे लोगों को अगर सवाल करना भी पड़े तो वो घबरा जाते हैं तथा घबरा कर अनाप शनाप पूछना शुरू कर देते हैं , अध्यापक का कर्तव्य है की वो ऐसे लोगों को भी संतुस्ट करे।

आधुनिक मानव की दुविधा यह है की वो जीवन से निराश है, किंतु मरना भी नहीं चाहता। जीवित रहने की मूलवृती ही हमें उम्मीद बंधाती है। जिस शत्रु से हमें लड़ना है वो पूंजीवाद अथवा साम्यवाद नहीं है बल्कि हमारी अपनी बुराई है , अपनी आध्यात्मिक अन्धता है , सत्ता के प्रति हमारी आसक्ति और प्रभुत्व के लिये हमारी वासना है।

आज अध्यापक दिवस के अवसर पर हम अध्यापकों को यह प्रण लेना चाहिए की हम समाज में फैली इस बुराई का अंत करेंगे

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